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वहीं मिलूँगी तुम्हें…

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वहीं   मिलूँगी   तुम्हें… जब   रात   ढलने   को   होगी , पर   भोर   ना   भई   होगी , तब   मिलूँगी   तुम्हें। वो   रात   बिताने …  मिलूँगी   तुम्हें ! जब   लौ   बुझने   को   होगी , पर   हल्की   सी   रौशनी   बिखर   रही   होगी , तब   मिलूँगी   तुम्हें। वो   अंधकार   मिटाने …  मिलूँगी   तुम्हें ! जब   बादल   तो   छाये   होंगे , पर   बूँदें   ना   बरसी   होंगी , तब   मिलूँगी   तुम्हें। वो   प्यास   बुझाने …  मिलूँगी   तुम्हें ! जब   बरसात   से   धरा   सराबोर   होगी , पर   इंद्रधनुष   ना   इतराया   होगा , तब   मिलूँगी   तुम्हें। वो   रंग   समेटने …  मिलूँगी   तुम्हें ! जब   फूल   खिलने   को   होगा , पर   भँवरा   ना   मंडराया   होगा , तब   मिलूँगी ...