आईना

 


आज सेल्फ़ी के इस दौर में,

आईना और भी लाज़िम हो गया है!

वरना रूह की हक़ीक़त…

कहां किसी कैमरे में क़ैद होती हैं!


हम हँसें तो हमारा अक्स हँसे, हम रोयें तो वो रोए;

इतना वफ़ादार हमसफ़र और कहाँ मिलता हैं?

ज़िंदगी के सफ़र में साथ और हाथ, दोनों ही छूट जाते हैं,

एक आईना ही है, जो सौ टुकड़ों में टूटकर भी क़ाबिल-ए-ऐतबार होता है!


इतने चेहरे होते हैं हर एक के पास,

किसी की असलियत से कौन वाक़िफ़ है?!

ख़ुद को छोड़कर हर किसी का दीद कराए ये तस्वीरें,

अपने लिए मायने और दूसरों के लिए आईने होते हैं!


-नम्रता राठी सारडा. (ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

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