रावण दहन


 

सारे राम आज फिर रावण का दहन करेंगे…

सारी सीताएँ आज से, फिर, स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगी!


रावण पर उँगली उठाने वाले आज फिर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का बदला लेंगे,

रावण भी सोचता होगा… इस भीड़ में क्या सभी राम खड़े हैं?


मैंने तो सीता हरण का प्रायश्चित कर लिया है….

क्या तुमने कभी अपना खाता खोल के देखा है?


क्या सच में यह राम-राज्य है जहाँ सबकी चेतना जागृत है?

क्या यहाँ खड़े हर व्यक्ति ने अपने चरित्र का प्रमाण पत्र दिया है?


रावण दहन का अधिकार सिर्फ़ वही रखता है,

जो अपनी माँ, बहन, पत्नी, सखी, बेटी को स्वयं सीताजी का दर्जा देता हो!


आज तो पूरे देश में सिर्फ़ राम ही घर लौटेंगे,

जहाँ हर घर राम बस्ते हो, तो हर साल रावण कहाँ से लायेंगे?


सीताजी भी आज अचंभे में हैं,

मेरे प्रभु श्रीराम ने तो रावण के अहंकार का विनाश किया था…


जो स्वयं महीशासुर मर्दिनी है, 

क्या आज वो देवियाँ, नवरात्रि के बाद, विजय दशमी का इंतज़ार करेगी?!


अस्त्र और शस्त्र, दोनों ही है उसके पास,

बस उसे इस्तेमाल करने की वजह ना दो!


- नम्रता राठी सारडा (ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

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