और वो खेल…
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घर - घर खेलते खेलते कब सपनों के घर के लिए EMI भरने लगे , गुड्डे - गुड़ियों से खेलते हुए अब अपने बच्चों को बड़ा करने में लग गए। लुका - छिपी के खेल में ना जाने वो फ़ुरसत के पल कहाँ छिप गए , दिन - रात गली में क्रिकेट खेलने वालों के लिए अब IPL देखने जितने ही पल रह गए। वो पतंग का दौर और ज़ोर से ‘ वो काट’ की धूम , अब तो बस laptop के virtual वर्ल्ड में दिखता है ज़ूम !! कंचे तो मानो सबसे बड़ा ख़ज़ाना हुआ करते थे , अब तो बस अगली पीढ़ी के...