Posts

आईना

Image
  आज सेल्फ़ी के इस दौर में, आईना और भी लाज़िम हो गया है! वरना रूह की हक़ीक़त… कहां किसी कैमरे में क़ैद होती हैं! हम हँसें तो हमारा अक्स हँसे, हम रोयें तो वो रोए; इतना वफ़ादार हमसफ़र और कहाँ मिलता हैं? ज़िंदगी के सफ़र में साथ और हाथ, दोनों ही छूट जाते हैं, एक आईना ही है, जो सौ टुकड़ों में टूटकर भी क़ाबिल-ए-ऐतबार होता है! इतने चेहरे होते हैं हर एक के पास, किसी की असलियत से कौन वाक़िफ़ है?! ख़ुद को छोड़कर हर किसी का दीद कराए ये तस्वीरें, अपने लिए मायने और दूसरों के लिए आईने होते हैं! -नम्रता राठी सारडा. (ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

मेरी पहचान

Image
जब दुनिया में आई, तो उनकी बिटिया रानी कहलायी, कभी दीदी तो कभी छोटी बहन बन सुहायी! कभी यार-दोस्त तो कभी बनी हमराज़, ज़िंदगी हर मोड़ पर छेड़ती गई नया साज़! जब अर्धांगनी बनी, तो एक और सुनहरा पिटारा खुला, बहू, मामी, चाची, भाभी का ऊँचा ओहदा मिला! फिर प्यारे बच्चों की अठखेलयाँ देख ज़िंदगी हुई गुलज़ार, जब ममता की दहलीज़ पर कदम रखा मैंने पहली बार! Confuse सी हो गई मैं, कि आख़िर क्या है मेरी पहचान का सार… क्या हमेशा दूसरों के नाम से ही जानी जाऊँगी हर बार? नाम एक, पर हर कसौटी की अलग परख, ये सोच-सोच दुखी होऊँ या मनाऊँ मैं हरख?! अपनी अलग पहचान बनाने का सोचा तो इन्हीं रिश्तों का सहारा मिला, तब समझ में आया की इनसे ही तो है दिलों का सिलसिला! ये वो रिश्ते होते हैं, जिनसे मुनाफ़ा नहीं होता, पर अमीरी में, इनसे ज़्यादा, कहीं और इज़ाफ़ा भी नहीं होता! पहचान क्या पद या पदवी से होती है? अरे ये तो आपको मिलते ही लोगों की मुस्कान से होती है! की आप किसी कमरे में दाख़िल हों, तो लोग ये ना कहें, ‘अरे ये यहाँ भी आ गई?’ पर ये कहने पर मजबूर हो जायें, ‘अरे, ये यहाँ भी आ गई!’ -नम्रता राठी सारडा(ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

Adipurush: Shaken and Stirred

Image
 A lot has been perceived, heard, read and seen about this new movie, ‘Adipurush’. It claims to be based on the Hindu epic, Ramayan. It seems that the knowledge of the common man is much more advanced than the pre-production research of their entire team. Disclaimer: If you are keen on watching this movie, do go to be baffled at the perceived ignorance of the makers who decided to spend such a huge budget on this ‘magna’ piece of ‘art’ and managed to come up with something so ridiculous. Where do I begin? The movie is wrong on so many levels. The CGI and VFX is so lame, that it almost appears that you are in an amateur video game throughout. In such modern times, when we have all the budget and all the super techniques available at out fingertips, we still miss the Ramanand Sagar’s Ramayan’s ‘trick photography’, as we used to call it, when we were growing up. The movie failed, big time, to impress at the techno level. Next comes the distortion of facts. I understand that it is impo...

झलक दिखला जा…

Image
  झलक दिखला जा…. तेरी एक झलक, जैसे गर्मियों में बरफ़ का गोला, in रंग सात, जैसे गरमागरम पकौड़े with चटनी in बरसात, जैसे सर्दियों में टपरी की one sip of कटिंग चाय, तेरी बस वो एक झलक…. क्या सितम ढाए! तेरी एक झलक, जैसे छोले भटूरे with प्याज़ बारिक कटा, जैसे extra मक्खन मार आलू का पराठा, जैसे बर्गर with डबल चीज़ पर फ़्री fries की भरमार, तेरी बस वो एक झलक…. है एक ख़ुमार! (घबराइए मत, weight conscious मित्रों के दिल की बात भी कहने वाली हूँ) तेरी एक झलक, जैसे ग्रीन टी में हनी की वो forbidden मिठास, वो weighing scale पर वज़न कम दिखने की आस, जैसे वो आख़री पंद्रह मिनट to end your intermittent fast, तेरी बस वो एक झलक… मेरी यही ख्वाइश last! तेरी एक झलक, जैसे unlimited buffet का ऑफ़र in five star, जैसे dinner पर मिल जाये बस open bar, खाने के बाद बनारसी पान का चस्का, बस तेरी एक झलक… अब और कितना मारू मस्का! नम्रता सारडा(ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

परवाह

Image
आख़िर क्यों परवाह करते हैं हम? फ़ुरसत है इसलिए...? या वक़्त रहते सोचना ज़रूरी सा लगता हैं? भरोसा नहीं ऊपर वाले पे, या यह इबादत ही है इसलिए? कमजोर हैं इसलिए....? या सामना करने की हिम्मत रखते हैं इसलिए?! किस्मत का लिखा क्या पत्थर की लक़ीर है? या नसीब अपना ख़ुद ही संजो सकते हैं हम? सब कुछ तो है पास हमारे, फिर भी कुछ ना कुछ कमी सी क्यों रहती है! क्या लाए थे साथ जो ले जाएँगे यहाँ से? फिर भी सामान बटोरते बटोरते नहीं थकते हम… आख़िर क्यों परवाह करते हैं हम? -नम्रता राठी सारडा (ड्रामा क्वीनः रीलोडेड) #dramaqueenreloaded #hindi #hindipoems #hindipoetry #Parwah #nams #hindikavita

मुस्कान उनकी

Image
  मुस्कान   उनकी कभी   माँ   से   एक   फुल्का   ज़्यादा   माँग   लो , तो   खिल   जाती   है   मुस्कान   उनकी ! फ़ोन   पर   कह   दो  -  माँ ,  घर   आ   रही   हूँ   छुट्टियों   में , तो   खिल   जाती   है   मुस्कान   उनकी ! दिन   में   दोबारा   वीडियो   कॉल   ही   कर   दो , तो   खिल   जाती   है   मुस्कान   उनकी ! पंद्रह   सेकंड   ज़्यादा   गले   लग   जाओ , तो   खिल   जाती   है   मुस्कान   उनकी ! माँ ,  आज   आपकी   बहुत   याद   आई …  इतना   ही   कह   दो , तो   खिल   जाती   है   मुस्कान   उनकी ! माँ ,  आज   मैं   बहुत   खुश   हूँ …  ये   सुनते   ही , खिल   जाती   है   मुस्कान   उनकी ! कितना   आसान   ह...

और वो खेल…

Image
घर - घर   खेलते   खेलते   कब   सपनों   के   घर   के   लिए  EMI  भरने   लगे , गुड्डे - गुड़ियों   से   खेलते   हुए   अब   अपने   बच्चों   को   बड़ा   करने   में   लग   गए। लुका - छिपी   के   खेल   में   ना   जाने   वो   फ़ुरसत   के   पल   कहाँ   छिप   गए , दिन - रात   गली   में   क्रिकेट   खेलने   वालों   के   लिए   अब  IPL  देखने   जितने   ही   पल   रह   गए। वो   पतंग   का   दौर   और   ज़ोर   से  ‘ वो  काट’  की   धूम , अब   तो   बस  laptop  के  virtual  वर्ल्ड   में   दिखता   है   ज़ूम !! कंचे   तो   मानो   सबसे   बड़ा   ख़ज़ाना   हुआ   करते   थे , अब   तो   बस   अगली   पीढ़ी   के...