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दायरा

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दायरा क्या समाज की बेड़ियाँ है दायरा? या अपने-अपने हालात का परिणाम है दायरा? हम दुनिया में आये तो आज़ाद थे, फिर भी ज़ंजीरों ने हर जगह हमें है जकड़ लिया! दहलीज़ पार करो तो आधुनिक हो, घर की चार दीवारी में रुक जाओ तो प्राचीन हो... सर पर पल्ला ले लो तो पुरातन कहलाओगी, पश्चिमी कपड़े पहन लिए तो अग्रसर हो! नौकरी करो तो 'क्या कमी है?' गृहणी बनो तो 'काम ही क्या है?' शादी ना करो तो 'क्या हो सकता है कारण?’ बच्चे ना हो तो 'क्या किस्मत है!' परिवार के साथ रहो तो 'घर में दस हाथ हैं!' अकेले रह लो तो 'घर को तोड़ दिया है!’ कम दोस्त हो तो 'बनती ही कहाँ होगी?!’ बहुत यारी हो तो 'निकम्मा है!’ सीताजी ने उलाँघी जब लक्ष्मण-रेखा थी, तब रामायण के रण की कहानी लिखी गई थी! भीष्म पितामह ने जब नहीं उलाँघी थी अपने कर्तव्य की रेखा, तब महाभारत के धर्मयुद्ध को नियति भी बदल नहीं पाई थी! कहीं भी राहत नहीं मिलेगी... दुनिया दोनों से तरफ से ही उंगली उठाएगी! घांस दूसरी ओर हमेशा ही ज़्यादा हरी होती है, हमारी मर्यादा, हमें ही पुख्ता करनी होगी! ज़िन्दगी आपकी, तो फ़ैसले भी आपके हो, फ...

रावण दहन

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  सारे राम आज फिर रावण का दहन करेंगे… सारी सीताएँ आज से, फिर, स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगी! रावण पर उँगली उठाने वाले आज फिर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का बदला लेंगे, रावण भी सोचता होगा… इस भीड़ में क्या सभी राम खड़े हैं? मैंने तो सीता हरण का प्रायश्चित कर लिया है…. क्या तुमने कभी अपना खाता खोल के देखा है? क्या सच में यह राम-राज्य है जहाँ सबकी चेतना जागृत है? क्या यहाँ खड़े हर व्यक्ति ने अपने चरित्र का प्रमाण पत्र दिया है? रावण दहन का अधिकार सिर्फ़ वही रखता है, जो अपनी माँ, बहन, पत्नी, सखी, बेटी को स्वयं सीताजी का दर्जा देता हो! आज तो पूरे देश में सिर्फ़ राम ही घर लौटेंगे, जहाँ हर घर राम बस्ते हो, तो हर साल रावण कहाँ से लायेंगे? सीताजी भी आज अचंभे में हैं, मेरे प्रभु श्रीराम ने तो रावण के अहंकार का विनाश किया था… जो स्वयं महीशासुर मर्दिनी है,  क्या आज वो देवियाँ, नवरात्रि के बाद, विजय दशमी का इंतज़ार करेगी?! अस्त्र और शस्त्र, दोनों ही है उसके पास, बस उसे इस्तेमाल करने की वजह ना दो! - नम्रता राठी सारडा (ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

Grow Up

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Grow up, I told my offspring…. But I am just a child, Mom! You grow up… as you should have! Well, this made more sense…. But I am just a mom, Child! I have just been a mom! When did I stop growing up? Well, I was busy. I have held you tight when you were laughing, I have shed tears when you were hurt. I have stayed awake when you fell sick, I have celebrated when you won that spell-bee! I was growing up with you, albeit as a Mom… I have grown up as a Mom, yeah! I know, now, that the world is not as bad a place for you. You have to embrace it; with your eyes, both, shut and open. I will always have your back, you know that. But I will have to let you go while holding on to you, I have to set you free, they say. But I am still just a Mom! I still yearn for your hugs… the ones which came out of nowhere. I miss your beaming smile… the ones which you gave me from inside your school gate. I would give an arm and a leg for those late night catch-up stories of your day. I would give up my whol...

आईना

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  आज सेल्फ़ी के इस दौर में, आईना और भी लाज़िम हो गया है! वरना रूह की हक़ीक़त… कहां किसी कैमरे में क़ैद होती हैं! हम हँसें तो हमारा अक्स हँसे, हम रोयें तो वो रोए; इतना वफ़ादार हमसफ़र और कहाँ मिलता हैं? ज़िंदगी के सफ़र में साथ और हाथ, दोनों ही छूट जाते हैं, एक आईना ही है, जो सौ टुकड़ों में टूटकर भी क़ाबिल-ए-ऐतबार होता है! इतने चेहरे होते हैं हर एक के पास, किसी की असलियत से कौन वाक़िफ़ है?! ख़ुद को छोड़कर हर किसी का दीद कराए ये तस्वीरें, अपने लिए मायने और दूसरों के लिए आईने होते हैं! -नम्रता राठी सारडा. (ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

मेरी पहचान

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जब दुनिया में आई, तो उनकी बिटिया रानी कहलायी, कभी दीदी तो कभी छोटी बहन बन सुहायी! कभी यार-दोस्त तो कभी बनी हमराज़, ज़िंदगी हर मोड़ पर छेड़ती गई नया साज़! जब अर्धांगनी बनी, तो एक और सुनहरा पिटारा खुला, बहू, मामी, चाची, भाभी का ऊँचा ओहदा मिला! फिर प्यारे बच्चों की अठखेलयाँ देख ज़िंदगी हुई गुलज़ार, जब ममता की दहलीज़ पर कदम रखा मैंने पहली बार! Confuse सी हो गई मैं, कि आख़िर क्या है मेरी पहचान का सार… क्या हमेशा दूसरों के नाम से ही जानी जाऊँगी हर बार? नाम एक, पर हर कसौटी की अलग परख, ये सोच-सोच दुखी होऊँ या मनाऊँ मैं हरख?! अपनी अलग पहचान बनाने का सोचा तो इन्हीं रिश्तों का सहारा मिला, तब समझ में आया की इनसे ही तो है दिलों का सिलसिला! ये वो रिश्ते होते हैं, जिनसे मुनाफ़ा नहीं होता, पर अमीरी में, इनसे ज़्यादा, कहीं और इज़ाफ़ा भी नहीं होता! पहचान क्या पद या पदवी से होती है? अरे ये तो आपको मिलते ही लोगों की मुस्कान से होती है! की आप किसी कमरे में दाख़िल हों, तो लोग ये ना कहें, ‘अरे ये यहाँ भी आ गई?’ पर ये कहने पर मजबूर हो जायें, ‘अरे, ये यहाँ भी आ गई!’ -नम्रता राठी सारडा(ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)

Adipurush: Shaken and Stirred

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 A lot has been perceived, heard, read and seen about this new movie, ‘Adipurush’. It claims to be based on the Hindu epic, Ramayan. It seems that the knowledge of the common man is much more advanced than the pre-production research of their entire team. Disclaimer: If you are keen on watching this movie, do go to be baffled at the perceived ignorance of the makers who decided to spend such a huge budget on this ‘magna’ piece of ‘art’ and managed to come up with something so ridiculous. Where do I begin? The movie is wrong on so many levels. The CGI and VFX is so lame, that it almost appears that you are in an amateur video game throughout. In such modern times, when we have all the budget and all the super techniques available at out fingertips, we still miss the Ramanand Sagar’s Ramayan’s ‘trick photography’, as we used to call it, when we were growing up. The movie failed, big time, to impress at the techno level. Next comes the distortion of facts. I understand that it is impo...

झलक दिखला जा…

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  झलक दिखला जा…. तेरी एक झलक, जैसे गर्मियों में बरफ़ का गोला, in रंग सात, जैसे गरमागरम पकौड़े with चटनी in बरसात, जैसे सर्दियों में टपरी की one sip of कटिंग चाय, तेरी बस वो एक झलक…. क्या सितम ढाए! तेरी एक झलक, जैसे छोले भटूरे with प्याज़ बारिक कटा, जैसे extra मक्खन मार आलू का पराठा, जैसे बर्गर with डबल चीज़ पर फ़्री fries की भरमार, तेरी बस वो एक झलक…. है एक ख़ुमार! (घबराइए मत, weight conscious मित्रों के दिल की बात भी कहने वाली हूँ) तेरी एक झलक, जैसे ग्रीन टी में हनी की वो forbidden मिठास, वो weighing scale पर वज़न कम दिखने की आस, जैसे वो आख़री पंद्रह मिनट to end your intermittent fast, तेरी बस वो एक झलक… मेरी यही ख्वाइश last! तेरी एक झलक, जैसे unlimited buffet का ऑफ़र in five star, जैसे dinner पर मिल जाये बस open bar, खाने के बाद बनारसी पान का चस्का, बस तेरी एक झलक… अब और कितना मारू मस्का! नम्रता सारडा(ड्रामा क्वीनः रीलोडेड)